नेपाल के राजा ने करवाया ललिता घाट का निर्माण, जानें यहां कि धार्मिक मान्यताएं

Smart News Team, Last updated: Tue, 3rd Aug 2021, 6:33 PM IST
  • निर्माण कार्य के दौरान राजा राणा बहादुर की हत्या कर दी गई, जिसके बाद उनके पुत्र राजेंद्र बिक्रम साहा ने यहां ललिता घाट, एक धर्मशाला और नेपाली मंदिर के निर्माण का अधूरा कार्य पूरा करवाया.
निर्माण कार्य के दौरान राजा राणा बहादुर की हत्या कर दी गई, जिसके बाद उनके पुत्र राजेंद्र बिक्रम साहा ने यहां ललिता घाट, एक धर्मशाला और नेपाली मंदिर के निर्माण का अधूरा कार्य पूरा करवाया. (Tour My India)

महाकाल की नगरी काशी में भक्ति की अद्भुत छटा देखने को मिलती है. वाराणसी को मंदिरों और घाटों का शहर भी कहा जाता है. क्योंकि यहां पर आदिकाल से कई मंदिर और घाट मौजूद हैं. ऐसा ही एक घाट है, जिसका नाम देवी 'ललिता' के नाम पर पड़ा है, इस घाट का नाम है 'ललिता घाट.' मीर घाट के पास स्थित 'ललिता घाट' का निर्माण नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने 19वीं शताब्दी की शुरुआत में करवाया था. इस घाट पर प्रसिद्ध नेपाली मंदिर 'पशुपति नाथ' और ललिता गौरी मंदिर भी मौजूद हैं.

निर्वासन के दौरान करवाया था निर्माण: नेपाल के राजा, राणा बहादुर शाह ने वाराणसी में सन् 1800 से 1804 के दौरान वनवास लिया था और उस समय उन्होंने खुद को 'स्वामी निर्गुण' के रूप में नामित किया. अपनी निर्वासन अवधि के दौरान राणा बहादुर शाह ने नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनारस में निर्मित करने का फैसला लिया. निर्माण कार्य के दौरान राजा राणा बहादुर की हत्या कर दी गई, जिसके बाद उनके पुत्र राजेंद्र बिक्रम साहा ने यहां ललिता घाट, एक धर्मशाला और नेपाली मंदिर के निर्माण का अधूरा कार्य पूरा करवाया.

अपनी निर्वासन अवधि के दौरान राणा बहादुर शाह ने नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनारस में निर्मित करने का फैसला लिया. (Credit: UP Tourism Official Site Facebook)

धार्मिक पहलू: देवी ललिता हिंदू मान्यता के दस देवी-देवताओं के समूह में से एक हैं. उन्हें सामूहिक रूप से दशा-महाविद्या कहा जाता है. उन्हें आदिशक्ति का सबसे ऊंचा रूप माना जाता है. गंगा के किनारे बसे ललिता घाट में नेपाली वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है. यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों लोग मंदिर में दर्शन करने आते हैं, साथ ही घाट में डुबकी लगाते हैं. इस घाट को लेकर मान्यता है कि यहां पर स्नान करने से व्यक्ति की सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं.

यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों लोग मंदिर में दर्शन करने आते हैं, साथ ही घाट में डुबकी लगाते हैं.

दिल्ली से वाराणसी की दूरी: दिल्ली से वाराणसी करीब 863 किलोमीटर दूर है. आप हवाई मार्ग/ सड़क/रेल मार्ग तीनों से आसानी से वाराणसी जा सकते हैं. अगर आप फ्लाइट से जाते हैं तो 1.25 घंटे में आप वाराणसी शहर पहुंच सकते हैं. वहीं, अगर आप रेल मार्ग के जरिए सफर तय कर रहे हैं तो इसमें आपको 14 घंटे का समय लगेगा. अगर आप सड़क मार्ग से जाते हैं तो इसमें 12.32 घंटे लगते हैं.

गंगा के किनारे स्थित ललिता घाट वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन से 3.8 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है. आप रेलवे स्टेशन से यहां तक ऑटो या फिर बस के जरिए पहुंच सकते हैं.

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