3 नवंबर को मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी, इस पूजा विधि से देवी-देवता होंगे खुश
- आज 3 नवंबर को नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi),छोटी दिवाली (Choti Diwali),नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi),रूप चौदस (Roop Chaudas) या यम दिवाली (Yam Diwali) मनाई जाएगी. इस दिन भगवान कृष्ण, सत्यभामा और देवी काली ने राक्षस नरकासुर का वध किया था.
दीपावली की पांच दिन की पूजा में एक दिन नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. जिसे लोग छोटी दीपावली के दिन मनाते हैं. ये त्योहार कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है इसे मासिक शिवरात्रि भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण, सत्यभामा और देवी काली ने राक्षस नरकासुर का वध करके 16,100 कन्याओं को उसके चंगुल से मुक्त कराया था. इस पर्व को रूप चौदस भी कहते हैं इस त्योहार को लोग बुराई, नकारात्मकता, आलस्य और बुराई से छुटकारा पाने के लिए मनाते हैं. ये सभी नाकारत्मक चीजों से मुक्ति देती है.
इस दिन स्नान ध्यान किया जाता है. नरक चतुर्दशी के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक अभ्यंग स्नान है. नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान लक्ष्मी पूजा के एक दिन पहले या उसी दिन किया जाता है. यह स्नान सूर्योदय से पहले चतुर्दशी की तिथि पर किया जाता है. जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा करने की विधि.
तीन नवंबर को है नरक चतुर्दशी:
पंचांग के अनुसार 3 नंबर 2021 को प्रात: 09:02 से चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होकर 4 नंबर 2021 प्रात: 06:03 पर समाप्त होगी. उपरोक्त मान से रूप चौदस या नरक चतुर्दशी 3 तारीख को मनाई जाएगी.
शुभ मुहूर्त:
अमृत काल 01:55 से 03:22 तक
ब्रह्म मुहूर्त 05:02 से 05:50 तक
विजय मुहूर्त दोपहर 01:33 से 02:17 तक
गोधूलि मुहूर्त शाम 05:05 से 05:29 तक
सायाह्न संध्या मुहूर्त शाम 05:16 से 06:33 तक
निशिता मुहूर्त रात्रि 11:16 से 12:07 तक
नरक चतुर्दशी स्नान से लाभ:
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने का महत्व है. मान्यता है इससे रूप में निखार आ जाता है. स्नान के लिए 28 अक्टूबर को कार्तिक अहोई अष्टमी के दिन एक तांबे के लौटे में जल भरकर दीजिए. उसे नरक चतुर्दशी के दिन स्नान के जल में मिलाकर स्नान कीजिए. मान्यता के अनुसार ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है. स्नान करने के बाद दक्षिण दिशा में हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें. इससे सभी पापों का नाश होता है.
नरक चतुर्दशी पर यमराज के लिए जलाए दिए:
नरक चतुर्दशी में यमराज के लिए तेल का दीया घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर लगाएं. इस दिन शाम में सभी देवताओं की पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर के बाहर चौखट के दोनों ओर रख दें. माना जाता है ऐसा करने से लक्ष्मीजी का घर में निवास हो जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है. इस दिन घर से गंदगी साफ कर देना चाहिए कूड़ा कचड़ा घर से बाहर फेंक देना चाहिए इससे घर से दरिद्रता का नाश होता है.
पूजा विधि:
• इस दिन काली माता, हनुमान, यमराज, श्रीकृष्णभगवान शिव और भगावन वामन की पूजा की जाती है.
• पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें. सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है.
• इस दिन 16 क्रियाओं से पूजा करें पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए.
• इसके बाद धूप दीप जलाएं और घर में जिस तरह से पूजा विधि करते है उसके अनुसार पूजा अर्चना करें. पूजन में चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि लगाना चाहिए. पूजा करते वक्त मंत्र का जाप करें.
• पूजा के बाद भगवान को भोग लगाए ध्यान रखें भोग लगाए हुए प्रसाद में नमक या तेल का इस्तेमाल न हुआ हो. भोग वाली सामग्री में तुलसी का पत्ता जरूर रखें. उसके बाद आरती करें.
• घर के बाहर से लेकर अंदर तक दीपक जलाए घर के हर कोने में एक दीपक जलाएं. एक दीपक यम के नाम का भी जलाएं.
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