Durga Puja 2021: जानें पश्चिम बंगाल में कब हुई थी दुर्गा पूजा की शुरुआत, पढ़ें रोचक कहानी

Priya Gupta, Last updated: Wed, 29th Sep 2021, 9:03 AM IST
  • पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की एक अलग धूम देखने को मिलती है. बंगाली रिवाज से वहां पर बेहतरीन तरीके से दुर्गा पूजा मनाया जाता है.बंगाल के विभिन्न शहरों में होने वाली दुर्गा पूजा की रौनक देखती ही बनती है.
जानें पश्चिम बंगाल में कब हुई थी दुर्गा पूजा की शुरुआत

दुर्गा पूजा हर साल पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है, खास कर पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की एक अलग धूम देखने को मिलती है. बंगाली रिवाज से वहां पर बेहतरीन तरीके से दुर्गा पूजा मनाया जाता है.बंगाल के विभिन्न शहरों में होने वाली दुर्गा पूजा की रौनक देखती ही बनती है. बड़े-बड़े पंडाल और आकर्षक मूर्तियों के साथ शानदार तरीके से बंगाली समाज देवी दुर्गा की पूजा करता है. जिस दिन मां दुर्गा को विदा किया जाता है यानी जिस दिन प्रतिमा विसर्जन के लिए ले जाया जाता है, उस दिन बंगाल में सिंदूर खेला किया जाता है.

कहा जाती है कि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की शुरुआत 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद हुई थी. प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों की जीत पर भगवान को धन्यवाद देने के लिए पहली बार दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया था. आपको बता दें कि प्लासी के युद्ध में बंगाल के शासक नवाब सिराजुद्दौला की हार हुई थी. बंगाल में मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर गंगा किनारे प्लासी नाम की जगह है.

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यहीं पर 23 जून 1757 को नवाब की सेना और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में युद्ध लड़ा और नवाब सिराजुद्दौला को शिकस्त दी. हालांकि युद्ध से पहले ही साजिश के जरिए रॉबर्ट क्लाइव ने नवाब के कुछ प्रमुख दरबारियों और शहर के अमीर सेठों को अपने साथ कर लिया था. कहा जाता है कि युद्ध में जीत के बाद रॉबर्ट क्लाइव ईश्वर को धन्यवाद देना चाहता था. उस वक्त अंग्रेजों के हिमायती राजा नव कृष्णदेव सामने आए. उन्होंने रॉबर्ट क्लाइव के सामने भव्य दुर्गा पूजा आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव पर रॉबर्ट क्लाइव भी तैयार हो गए थे. उसी वर्ष पहली बार कोलकाता में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया था.

 

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