वाराणसी: अब बायो रेमेडीएशन विधि से स्वच्छ होगी गंगा, नगर निगम कर रहा है तैयारी
- अब गंगा को स्वस्थ करने के लिए वाराणसी नगर निगम की ओर से बायो रेमेडीएशन तकनीक का प्रयोग कर गंगा को शब्द बनाए जाने का प्रोजेक्ट जमीनी धरातल पर उतारे जाने की तैयारी की जा रही है.
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वाराणसी. बनारस नगर निगम के नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया कि बायो रिमेडियेशन तकनीक के तहत जैविक प्रणालियों का उपयोग करके पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित किया जाता है. इस तकनीक में बड़े नालों में गिरने वाले छोटे नालों के मुहाने पर एक सिस्टम लगाया जाता है जिसकी एक टंकी में कुछ रासायनिक तत्व मिलाकर भर दिया जाता है. यह रासायनिक तत्व बूंद-बूंद कर बहते पानी में गिरता रहता है और पानी को साफ करता रहता है.
बताया कि बायो रेमेडीएशन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण में विषाक्त अथवा खतरनाक पदार्थों को जैविक तरीके से गैर विषाक्त पदार्थों में परिवर्तित करता है. बताया कि अब तक बायो रेमेडीएशन का उपयोग दूषित मिट्टी भूमि और पानी आदि के उपचार के लिए किया जाता है. इस तकनीक में जीवों का देसी सुजुका का उपयोग फाइटो रिमेडियेशन, बायोस्टिमुलेशन ट्रीटमेंट की विधि से बायोरेमेडीएशन तकनीक को विकसित किया जाता है.
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नगर आयुक्त श्री राठी ने बताया कि अब बायोरेमेडीएशन तकनीक का उपयोग गंगा नदी और गंगा में गिरने वाले शहर के नालो के मुहाने पर किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसके लिए नगर क्षेत्र के 5 नामों को चुना गया है इनमें सबसे बड़ा अस्सी व नरोखर नाला है. इसके अलावा नगर क्षेत्र के नक्खीघाट, सामनेघाट व राजघाट नालो को चयनित किया गया है. उन्होंने बताया कि इनमें नरोखर व नक्खीघाट वरुणा नदी में अपरोक्ष रूप से गिरता है जबकि अस्सी घाट, सामने घाट व राजघाट नाली का पानी प्रत्यक्ष तौर पर गंगा नदी में गिरता है.
नगर आयुक्त गौरव राठी ने बताया कि बायो रेमेडीएशन विधि से गंगा समेत नगर क्षेत्र के नालों के पानी को सफाई करने की तैयारी है जल्द ही इस योजना पर काम शुरू हो जाएगा इससे शहर में पर्यावरण शुद्धता के साथी गंगा का पानी भी स्वच्छ करने में मदद मिलेगी.
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