Paush Amavasya 2022: 2 जनवरी को मनाई जाएगी पौष अमावस्या, ये है व्रत व पूजा विधि

Anurag Gupta1, Last updated: Fri, 24th Dec 2021, 3:35 PM IST
  • पौष अमावस्या का व्रत दो जनवरी को रखा जाएगा. पौष अमावस्या में महिलाएं पति की लंबी आयु की पूजा करती हैं. इस दिन पितरों का तर्पण, दान और स्नान का भी विशेष महत्व होता है. भगवान विष्णु की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
पौष अमावस्या में स्नान ध्यान के साथ सूर्य देवता को दें अर्घ्य (फाइल फोटो)

वैदिक पंचांग के अनुसार पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं. हिंदु धर्म में अमावस्य़ा का विशेष महत्व होता है इस दिन लोग व्रत व नदी में स्नान ध्यान करके सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं. साल में कुल 12 अमावस्या पड़ती है. साल 2022 में 2 दिसंबर को पौष अमावस्या मनाई जाएगी. हिंदु मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन पितरों का तर्पण, दान और स्नान का भी विशेष महत्व होता है.

अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. अमावस्य़ा में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है. वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है.

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पौष अमावस्या व्रत और विधि:

1.  पौष माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है. अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है.

2. तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर नदी में स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.

3. पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें.

4.  जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग उपस्थित है. उन्हें पौष अमावस्य का उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए.

5. अमावस्य़ा के दिन तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए और पीपल की पेड़ के पेड़ की पूजा करने से शुभ लाभ होता है.

6.  कहते हैं पौष का व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है और मनुष्य समस्त समस्याओं से मुक्त होता है. इस व्रत को महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए भी करती है और निसंतान महिलाएँ संतान प्राप्ती के लिए भी करती हैं.

भूत व प्राणी सब होते हैं प्रसन्न:

धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह माह श्रेष्ठ होता है. पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं. पौष मास में होने वाले मौसम परिवर्तन के आधार पर आने वाले साल में होने वाली बारिश का अनुमान लगाया जा सकता है. इस दिन लोग स्नान ध्यान और व्रत करते हैं जिससे पितर प्रसन्न होते हैं.

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