आपे से बाहर प्रदूषण, मिट्टी में जैविक तत्व की हो रही कमी

Smart News Team, Last updated: Thu, 3rd Dec 2020, 9:23 PM IST
  • कोरोना काल के बाद जैसे-जैसे लोगों की दिनचर्या पटरी पर आ रही है .इसी का नतीजा है ठीक काशी की आबोहवा अब दिन प्रतिदिन जहरीली होती जा रही है. हालांकि नमामि गंगे पर योजना से गंगा को स्वच्छ हुई है लेकिन वाहनों की रेलम पेल और कल कारखानों के चलते काशी में प्रदूषण आपे से बाहर होता जा रहा है 
फाइल फोटो

वाराणसी . काशी में वायु प्रदूषण के साथ ही ध्वनि प्रदूषण भी मानक तोड़ता दिखाई दे रहा मंगलवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से किए गए परीक्षण ने जिम्मेदारों को चिंता में डाल दिया है. काशी के बाजारों और औद्योगिक क्षेत्र में जहां ध्वनि प्रदूषण का सामान्य सूचकांक 65 से 70 डेसिबल होना चाहिए, परीक्षण में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 90 डेसिमल पार करता हुआ रिकॉर्ड किया गया. काशी की एयर क्वालिटी मैं भी ढाई गुणा तक प्रदूषण पाया गया. सामान स्थिति में एयर क्वालिटी मानक के मुताबिक 50 से 100 पीएच होना चाहिए परीक्षण में क्यूआई 261 पीएच रिकॉर्ड किया गया.

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इसी तरह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से काशी के मिट्टी मैं भी प्रदूषण का परीक्षण किया गया. परीक्षण रिपोर्ट में मिट्टी में रासायनिक उर्वरकों एवं रसायन की अधिकता पाई गई. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालका सिंह कहते हैं कि काशी की आबोहवा में सुधार के लिए कल कारखानों. गंगा सफाई एवं मिट्टी को प्रदूषण रहित बनाने को लेकर पंचायतों में गो आधारित जैविक खादों के प्रयोग को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. प्रदूषण को काबू में करने के लिए बोर्ड की ओर से निरंतर प्रयास किया जा रहा है.

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