लकड़ी का बाबा विश्वनाथ मंदिर बनाकर प्रेम शंकर ने मनवाया काष्ठ शिल्पकारी का लोहा
- बनारसी साड़ी और सिल्क वस्त्र उद्योग में नाम कमा चुके बनारस की पहचान अब काष्ठ शिल्प कला में दिनों-दिन निखरती जा रही है. एक कलाकार ने लकड़ी से बाबा विश्वनाथ मंदिर की प्रतिमूर्ति बना दी है.
वाराणसी . अयोध्या के प्रभु श्री राम मंदिर बना कर पहले से ही अपनी काष्ठ शिल्पकारी का लोहा मनवा चुके लहरतारा वाराणसी के रहने वाले प्रेम शंकर विश्वकर्मा ने अब लकड़ी से बाबा विश्वनाथ मंदिर बनाकर काष्ठ कला के क्षेत्र में बनारस का नाम रोशन किया है. विश्वनाथ मंदिर की कलाकृति बनाने में प्रेम शंकर ने कैमा लकड़ी का प्रयोग किया है. यही नहीं कलाकृति को चमकाने के लिए कपड़े के बैग और मोम के ब्लास्टर से घिसाई कर इसे दर्शनीय बनाया गया है. प्रेमशंकर की इस कलाकृति में बाबा विश्वनाथ मंदिर के साथ ही शिवलिंग और नंदी का स्वरूप भी उकेरा गया है.
मारवाड़ी में प्रेमशंकर की इस कलाकृति को जो भी देखता है उसे खरीदने के लिए कीमत लगा देता है. अब तक इस कलाकृति के कद्रदानों ने प्रेम शंकर के इस कलाकृति की कीमत ₹5000 तक लगा दी है. अपनी कलाकृति के बारे में जानकारी देते हुए प्रेम शंकर ने बताया कि बाबा विश्वनाथ के इस मंदिर को बनाने में 1 सप्ताह का समय लगा. उन्होंने कहा कि बनारस में ऐसी कलाकृति के कद्रदानों की संख्या उंगलियों पर ही है.
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कहते हैं कि काशी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है जरूरत सरकार के द्वारा सिर्फ काष्ठ शिल्पकारों को बाजार मुहैया कराना है. उन्होंने प्रदेश व केंद्र सरकार से मांग की है कि विदेशों में उत्पाद बेचने और प्रचार प्रसार की सुविधा विकसित की जाए तो काष्ठ शिल्प कला के क्षेत्र में काशी का नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा जा सकता है.
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