वाराणसी के तुलसी मानसा मंदिर में लिखी गई थी रामचरितमानस, जानें राम काल का इतिहास

Smart News Team, Last updated: Mon, 5th Jul 2021, 12:00 PM IST
  • भगवान राम को समर्पित वाराणसी का तुलसी मानसा मंदिर वही जगह है, जहां तुलसीदास ने अवधी भाषा में हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की थी. मंदिर की खास बात यह है कि इसकी सभी दीवारों पर रामचरितमानस के दोहे और चौपाइयां लिखी हुई हैं.
यह वही जगह है, जहां तुलसीदास ने अवधी भाषा में हिंदू महाकाव्य रामायण की रचना की थी. (Varanasi Tourism Government Official Site)

दुनिया का सबसे प्राचीन शहर काशी यानी वाराणसी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. यूं तो यहां कई मंदिर हैं लेकिन सबसे ज्यादा महत्व काशी विश्वनाथ मंदिर का है. इसके अलावा भी वाराणसी में ऐसे कई मंदिर हैं जिनका अपना ही महत्व है. इन्हीं में शामिल है भगवान राम को समर्पित वाराणसी का तुलसी मानसा मंदिर. कहा जाता है कि मंदिर की खास बात यह है कि इसकी सभी दीवारों पर रामचरितमानस के दोहे व चौपाइयां लिखी हुई हैं.

मंदिर का निर्माण: कहा जाता है कि पहले यहां एक छोटा सा मंदिर हुआ करता था और इसका निर्माण 1964 में कलकत्ता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल सुरेका ने करवाया था. उस वक्त मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था. मंदिर में भगवान श्रीराम, माता सीता के साथ-साथ लक्ष्मण और हमनुमान जी की भी प्रतिमाएं रखी गई हैं. इसके अलावा यहां माता अन्नपूर्णा, शिवजी और सत्यनारायण का भी मंदिर है. इस मंदिर की भव्यता को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी भी इसकी तारीफें कर चुके हैं.

कहा जाता है कि पहले यहां एक छोटा सा मंदिर हुआ करता था और इसका निर्माण 1964 में कलकत्ता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल सुरेका ने करवाया था. (Varanasi Tourism Government Official Site)

कैसे पहुंचे तुलसी मानसा मंदिर: तुलसी मानसा मंदिर हवाई रास्ते, सड़क मार्ग व रेल मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है. यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन वाराणसी कैंट है. स्टेशन से सात किलोमीटर की दूरी पर दुर्गाकुंड है जहां टैक्सी या ऑटो के जरिए पहुंचा जा सकता है. दुर्गाकुंड में ही तुलसी मानसा मंदिर स्थित है.

तुलसी मानसा मंदिर हवाई रास्ते, सड़क मार्ग व रेल मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है. (Varanasi Tourism Government Official Site)

हवाई मार्ग से आने के लिए सबसे पहले वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचना होगा, जहां से प्राइवेट टैक्सी कर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा वाराणसी राज्य भर की बस लाइन से जुड़ा हुआ है. ऐसे में सरकारी वाहन या निजी वाहन के जरिए भी यहां पहुंचा जा सकता है.

क्या खाएं: यूं तो मंदिर परिसर में कुछ भी खाना-पीना वर्जित होता है. ऐसे में मंदिर में दर्शन करने के बाद वाराणसी में कचोरी सब्जी, छेना दही वड़ा, बाटी चोखा और लिट्टी चोखा, चूड़ा मटर, दही चटनी गोलगप्पे, टमाटर चाट, बनारसी ठंडई और बनारसी पान का स्वाद लेना बिल्कुल न भूलें.

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