4 साल बाद नेपाल की जेल से रिहा कराया, यतींद्र ने मां को बेटे से मिलवाया

Smart News Team, Last updated: Fri, 29th Jan 2021, 3:52 PM IST
  • यूं तो अपनी जीवन में अपने अपने गमों से सभी लोग दुखी है. लेकिन दूसरों के आंसू को पौंछ कर उनके चेहरे पर मुस्कान लाना तो यतींद्र से सीखो. यतींद्र ने 4 साल से सड़कों पर भीख मांग रही वृद्धा के बेटे को नेपाल की जेल से छुड़ाकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का काम कर मिसाल पेश की है.
4 साल बाद नेपाल की जेल से रिहा कराया, यतींद्र ने मां को बेटे से मिलवाया (प्रतीकात्मक तस्वीर)

वाराणसी : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता रहे यतींद्र पति पांडे मूल रूप से वाराणसी में ही रहते हैं. पिछले साल 2020 में उनकी निगाह सड़क पर भीख मांग रही एक वृद्धा पर पड़ी. बरबस ही यतींद्र उससे बात करने लगे. बातों ही बातों में उसने अपना नाम अमरावती देवी बताया. यतींद्र की सहानुभूति को महसूस कर उस वृद्धा की आंखों से आंसू निकलने लगे. पूछने पर उसने बताया कि उसका बेटा महेंद्र पिछले 4 साल से नेपाल की जेल में कैद है. इतना बता कर अमरावती देवी फूट-फूट कर रोने लगी. अमरावती देवी के आंसुओं ने यतींद्र के मन में उस वृद्धा की मदद करने का जज्बा पैदा किया. फिर क्या था यतींद्र ने विदेश मंत्रालय जाकर महेंद्र को काउंसलर हेल्प दिलाई. उसके बाद अमरावती देवी को भारतीय दूतावास काठमांडू लेकर चले गए. 

यहां उन्होंने सीनियर काउंसलर केपी खंपा से मुलाकात की. खंपा ने महेंद्र से जुड़ी सभी नेपाली कानूनी अड़चनों के बारे में यतींद्र को बताया. खम्पा ने यतींद्र को बताया कि महेंद्र सड़क दुर्घटना के मामले में पिछले 4 वर्षों से नेपाल की नवल परासी जेल में बंद है. बताया कि इस सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत और एक व्यक्ति घायल हुआ था. बताया कि नेपाली कानून के अनुसार तत्काल हर्जाना 10 लाख रुपए अदा न करने पर महेंद्र को जेल भेज दिया गया. महेंद्र की सजा पूरी हो चुकी है सरकार ने उसका जुर्माना भी आधा कर दिया है. उसको जमा कराकर यतींद्र को कैद से रिहा किया जा सकता है. जल जुर्माने की राशि ना तो यतींद्र के पास थी और ना ही महेंद्र की बूढ़ी मां के पास. जुर्माने की राशि जुटाने के लिए यतींद्र अमरावती देवी को वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा के पास ले गए. उनसे बातचीत की लेकिन तब तक पूरे देश में कोरोना संक्रमण काल शुरु हो चुका था. इस कारण महेंद्र को छुड़ाने की सारी प्रक्रिया थम कर रह गई. कोरोना का संक्रमण कम हुआ तो नेपाल बॉर्डर भी खुल गया. यतींद्र दोबारा डीएम से मिले और उनसे 5 लाख की आर्थिक मदद करने की अपील की.

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डीएम ने विवेकाधीन कोष से धन के लिए अमरावती देवी से मुख्यमंत्री कार्यालय में आवेदन करा दिया. आवेदन को जल्द स्वीकृति प्रदान करने के लिए यतींद्र ने महेंद्र की मां को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मिले और उन्हें सारी बातें बताएं. डिप्टी सीएम ने ट्रक आते हुए स्थानीय विधायक से मिलने को कहा. स्थानीय विधायक ने भी महीनों तक यतींद्र और अमरावती देवी को ट्रक आया. सिफारिश और उचित पैरवी ना होने से मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के लिए अमरावती देवी का किया गया आवेदन भी निरस्त हो गया.धन जुटाने में शुरुआती दौर में मिले झटके भी यतींद्र के मदद करने के जज्बे को कम ना कर सके. यतींद्र ने अमरावती देवी को गरीब सहायता समिति अध्यक्ष श्रीमती रोशनी जायसवाल से मिलवाया उन्होंने डीएम कौशल राज शर्मा के आवास पर 1 लाख रुपए का चेक देकर मदद की. कुछ धनराशि भाजपा युवा मोर्चा की टीम ने भी जुटाई. 

यतींद्र ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों से मिलकर राशि एकत्रित करने के बाद नेपाल के चौधरी फाउंडेशन से मदद मांगी. फाउंडेशन ने ढाई लाख रुपए के सहयोग करने की स्वीकृति दे दी. फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री रामचंद्र धितल ने नवल परासी जेल में जाकर महेंद्र से मुलाकात की. जुर्माने की जमा की गई धनराशि लेकर जितेंद्र महेंद्र की मां अमरावती देवी को लेकर नेपाल पहुंच गए. 3 दिन की कानूनी प्रक्रिया के बाद महेंद्र महेंद्र को नेपाल सरकार ने रिहा कर दिया. आज अपने बेटे से मिलकर अमरावती खुश है तो वही यतींद्र के मदद करने की जज्बे को लोग सलाम कर रहे हैं.

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