Sakat Chauth 2022 Date: शुक्रवार को माताएं रखेंगी सकट चौथ व्रत, जानें डेट पूजा मुहूर्त और कथा
- शुक्रवार 21 जनवरी को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा. इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए भगवान गणेश की पूजा करती है और व्रत रखती है. आइये जानते हैं सकट चौथ पर भगवान श्री गणेश की पूजा और व्रत से जुड़े नियम.

माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश की विशेष पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. सकट चौथ को सकट चतर्थी ,संकष्टी चतुर्थी, संकटा चौथ, तिलकुटा चौथ, माघी चतुर्थी, लंबोदर संकष्टी चतुर्थी, जैसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. सकट चौथ का व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं. सकट चौथ का व्रत व पूजन करने से भगवान गणेश की कृपा से संतान को किसी तरह के कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता.
सकट चौथ का त्योहार इस बार 21 जनवरी 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाएगी. सकट चौथ पर रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद माताएं व्रत का पारण करेंगी. इस दिन पूजा में सकट चौथ की कथा भी पढ़ी जाती है. आइये जानते हैं सकट चतुर्थी या सकट चौथ पर्व से जु़डे नियम.
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सकट चौथ व्रत कथा-
सकट चौथ की व्रत कथा भगवान गणेश से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश पर बड़ी सकंट आकर टल गया था, इसलिए इस दिन को सकट चौथ कहा जाता है. कथा के अनुसार, माता पार्वती जब एक दिन स्नान के लिए जा रही थीं, तब उन्होंने अपने पुत्र गणेश को द्वार पर खड़ा कर दिया और पहरा देने का आदेश दिया, जिससे की कोई भीतर ना आ सके. उन्होंने पुत्र गणेश से कहा कि, जब तक वे स्नान कर वापस न आए किसी को भी भीतर न आने दे. भगवान गणेश ने माता पार्वती के आज्ञा का पालन किया और द्वार पर खड़े होकर पहरा देने लगे. ठीक उसी वक्त भगवान भोलेनाथ वहां आ गए. गणेश जी ने माता के आज्ञा का पालन करते हुए पिता शिवजी को भी द्वार पर रोक दिया. ये देख भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने त्रिशूल से वार कर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया.
भगवान गणेश की आवाज सुन भागती हुई बाहर आई. उन्होंने अपने पुत्र गणेश का सिर धड़ से अलग देख भगवान शिव जी से पुत्र के प्राण वापस लाने की गुहार लगाने लगी. शिव जी ने माता पार्वती की बात पर गणेश जी को जीवन दान तो दे दिया. लेकिन उनका सिर वापस न ला सके. आखिरकार एक हाथी के बच्चे का सिर भगवान गणेश की सिर की जगह लगानी पड़ी. इस घटना के बाद से ही महिलाएं संतान की प्राण रक्षा और सलामती के लिए सकट चौथ का व्रत रखती है.
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