टीचरों की नियुक्तियां अधूरी मई माह में कुलपतियों की सेवा काल हो रही पूरी

Smart News Team, Last updated: Fri, 15th Jan 2021, 3:34 PM IST
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में टीचरों की नियुक्ति प्रक्रिया विश्वविद्यालय के नीतिगत फैसले के अधिकार पर रोक लग जाने की संभावना को देखते हुए स्थगित होना तय माना जा रहा है. राजभवन की ओर से अगले आदेश तक साक्षात्कार पर भी स्थगन की तलवार लटकी हुई है।
टीचरों की नियुक्तियां अधूरी मई माह में कुलपतियों की सेवा काल हो रही पूरी

वाराणसी . बता दें कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने जुलाई 2020 में 73 अध्यापकों के नियुक्ति के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए थे. 16 पद प्रोफेसर 13 पद एसोसिएट प्रोफेसर 44 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की जानी थी. इसके बावजूद विद्या पीठ की ओर से अब तक चयन प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है. वही अध्यापकों की चयन प्रक्रिया पूरी होने में 3 माह का समय लगता है. साक्षात्कार के लिए विशेषज्ञों का चयन अभ्यर्थियों को सूचना पहुंचाना कार्य परिषद से अनुमोदन तक की लंबी प्रक्रिया है. जबकि विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर पीएन सिंह की सेवा काल आगामी 4 मई को पूरी हो रही है. ऐसे में सेवाकाल पूरी होने के 3 माह पहले से उनका 3 माह पहले से नीतिगत फैसले लेने का अधिकार सीज हो जाएगा जिसके चलते विद्यापीठ में टीचरों की नियुक्ति प्रक्रिया अभी से फंसी हुई नजर आ रही यही हाल वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का है.

इस विश्वविद्यालय की ओर से जनवरी 2019 में 73 पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे इनमें 11 प्रोफेसर 6 एसोसिएट प्रोफेसर व 60 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद शामिल थे. अब तक उक्त पदों में से केवल 16 टीचरों की नियुक्ति होने के कारण विश्वविद्यालय की ओर से अगस्त 2020 में रिक्त पदों के लिए एक बार फिर चयन प्रक्रिया शुरू की गई. लेकिन राजभवन के आदेश पर साक्षात्कार अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया. विश्वविद्यालय को दोबारा साक्षात्कार की तिथि घोषित करने के लिए राजभवन के आदेश का इंतजार है.

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जबकि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजा राम शुक्ल का कार्यकाल भी 24 मई को खत्म हो रहा है. ऐसे में उन पर भी फरवरी माह में ही नीतिगत फैसला लेने पर रोक लग जाएगा. नियुक्ति प्रक्रिया में कुलपति के सेवाकाल पूरी होने के कारण पेच फंसा हुआ दिखाई दे रहा है. वही दोनों विश्वविद्यालयों के सूत्रों का कहना है कि अब वर्तमान सत्र में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करना संभव नहीं है.

 

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