अब काशी में बनेगा लंकाधीश विभीषण का मंदिर, गुरु शुक्राचार्य की प्रतिमा भी लगेगी

वाराणसी.काशी के लमही स्थित श्रीराम मंदिर परिसर में लंका के राक्षसराज विभीषण का मंदिर निर्माण किया जाएगा। मंदिर में राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य, त्रिजटा और सुषेन वैद्य के विग्रह (प्रतिमाएं) भी स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए दो दिन पहले ही मंदिर में शिला पूजन किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि त्रेतायुग के अयोध्या और लंका में मैत्री संबंध को फिर से जीवंत करने और दोनों के बीच के प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों से नई पीढ़ी को परिचित कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है
काशी के लमही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने पं. अनुज पांडेय एवं पं. प्रदीप शास्त्री के साथ यज्ञ का आयोजन कर इसका संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि रामराज्य की स्थापना में सहयोग देने वाले ऋषि पुत्रों, देवताओं एवं राक्षस कुल के लोगों की मूर्तियां मंदिर में पूजी जाएंगी।
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उन्होंने बताया कि भगवान राम ने जाति-पाति, शत्रु-मित्र, देश-भाषा का भेद किए बिना सबको साथ में लिया था। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए सभी के विग्रहों को मंदिर में स्थापित किया जाएगा। इसी क्रम में निर्णय लिया गया कि राक्षस कुल के राजा लंकाधीश विभीषण का मंदिर बनाया जाए। मंदिर में राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य, त्रिजटा और सुषेन वैद्य के विग्रह (प्रतिमाएं) भी स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि महापंडित रावण राक्षस कुल का अवश्य था, लेकिन वह महादेव का भक्त और विद्वान था। देश के कई हिस्सों में आज भी रावण की पूजा की जाती है। कई स्थानों पर दशहरा पर रावण वध नहीं करने की परंपरा है। भगवान राम के द्वारा रावण वध पर शोक मनाया जाता है।
दिल्ली-एनसीआर के अंतर्गत आनेवाले ग्रेटर नोयडा क्षेत्र में बिसरख नाम का एक गांव है। इसको रावण का जन्म स्थल माना जाता है। गांव में रावण का एक ऐसा मंदिर भी है, जिसमें 42 फिट ऊंचे शिवलिंग और 5.5 फिट ऊंचे रावण की प्रतिमा है। यहां रावण को महाब्रह्म का स्थान प्राप्त है और दशहरे पर रावण वध के लिए शोक मनाने की परंपरा है। बिसरख गांव में रामलीला या रावण दहन नहीं किया जाता है। यहां के लोग दशहरा नहीं मनाते हैं। बिसरख गांव का नाम विश्रवा नाम से पड़ा था। विश्रवा रावण के पिता थे। इनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें जंगल से एक शिवलिंग मिला था। उसकी स्थापना के लिए मंदिर बनवाया था।
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