वाराणसी : जयंती पर लमही के सुभाष भवन में तीन दिवसीय सुभाष महोत्सव का आयोजन शुरू

Smart News Team, Last updated: Sat, 23rd Jan 2021, 12:52 PM IST
  • अखंड भारत कीआजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर काशी के इंद्रेश नगर लमही के सुभाष भवन में तीन दिवसीय सुभाष महोत्सव का आयोजन की शुरुआत हुई.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस

वाराणसी : सुभाष महोत्सव के पहले दिन इतिहास की अदालत में सुभाष विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर महोत्सव की शुरुआत की. शुभारंभ मौके पर आजाद हिंद बटालियन की सेनापति दक्षता भारतवंशी ने अपनी बाल्टिकुरी के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सलामी दी और बिगुल बजाकर सुभाष महोत्सव का स्वागत किया. इस मौके पर विश्व की पहली निर्वाचित बाल संसद के स्पीकर खुशी रमन भारतवंशी को दुनिया भर के अधिकारों से वंचित बच्चों की आवाज बुलंद करने एवं सुभाष चंद्र बोस के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया गया. 

खुशी रमन भारतवंशी विश्व के पहले सुभाष मंदिर की पुजारी है और वह प्रतिदिन सुभाष मंदिर में भारत माता की प्रार्थना के साथ आजाद हिंद सरकार का राष्ट्रगान कराकर भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना विकसित कर रही है. खुशी भारतवंशी मौजूदा शिक्षा सत्र में 11वीं की छात्रा है और बचपन से ही सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुई है.वॉइस संगोष्ठी में विषय स्थापना करते हुए सुभाष वादी विचारक तपन घोष ने कहा कि सुभाष ने आजादी की लड़ाई के साथ ही भारत के नवनिर्माण की नींद भी तय कर ली थी. आजाद हिंद सरकार की नीतियों को लागू किया गया होता तो आज भारत की स्थिति कुछ और होती. 

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उन्होंने कहा कि इतिहासकारों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ अन्याय किया है. उनके इतिहास का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए.वही इतिहासकार प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने कहा कि इतिहास की अदालत हमेशा न्याय करती है. इतिहास की अदालत में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही अकेले अखंड भारत के महानायक हैं.संगोष्ठी के मुख्य अतिथि इंद्रेश कुमार ने कहा कि सुभाष विभाजन के विरोधी थे. कांग्रेस के नेताओं को वह पहले ही अंग्रेजों की चाल से चैता चुके थे.कहा कि सुभाष के इतिहास का शोधकर्ता बुद्धिजीवी फिर से मूल्यांकन करें और देश हित में जन-जन तक पहुंचाएं.

 

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