सूर्यग्रहण के समय बंद हो जाते हैं मंदिर के कपाट, जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

Smart News Team, Last updated: Fri, 19th Nov 2021, 1:52 PM IST
  • चंद्र ग्रहण शुरू लग चुका है. चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से पहले ही शुरू हो जाता है. ग्रहण के समय सभी मंदिरों के पट बंद रहते हैं. ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिर की साफ सफाई की जाती हैं, उसके बाद ही आम भक्तों के लिए मंदिर खोले जाते हैं. यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही हैं.
कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगा हुआ है. यह साल 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण है.

वाराणसी. आज शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगा हुआ है. यह साल 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण है. भारत में यह चंद्रग्रहण अरुणाचल प्रदेश,असम, पश्चिम बंगाल के कुछ स्थानों के अलावा सिक्किम, उड़ीसा, अंडमान और निकोबार आइलैंड जैसे जगह पर दिखाई देगा. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक चंद्र ग्रहण सुबह 11 बजकर 34 से शुरू हो गया है, जो शाम 5 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से पहले ही शुरू हो जाता है. ग्रहण के समय सभी मंदिरों के पट बंद रहते हैं. ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिर की साफ सफाई की जाती हैं, उसके बाद ही आम भक्तों के लिए मंदिर खोले जाते हैं. यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही हैं. आइए जानते हैं क्यों बंद रखे जाते हैं मंदिर के कपाट?

क्यों बंद रखे जाते हैं मंदिर के कपाट?

शास्‍त्रों व पुराणों के अनुसार, ग्रहण और सूतक के समय चंद्र से निकलने वाली नकारात्मक तरंगों के संपर्क में आने वाली सभी चीजें आपवित्र हो जाती हैं. मंदिर में रखी पूजन सामग्री अशुद्ध हो जाती हैं. ग्रहण के बाद मंदिर की शुद्धि की जाती है. भगवान की प्रतिमा को स्नान करवाया जाता है, जिसके बाद ही आम भक्तों के लिए मंदिर पट खोले जाते हैं.

सक्रिय रहती हैं नकारात्मक शक्तियां

इस संबंध में एक अन्य मान्यता भी है कि इस ग्रहण काल में वातावरण में नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं. कमजोर हृदय वालों पर नकारात्मकता जल्दी हावी होती हैं. इनसे बचने के लिए पुराने समय में लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे, जो भक्त नियमित रूप से मंदिर जाते हैं उन लोगों को ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए ही मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं.

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