पौधों के लिए वैक्सीन तैयार, किसान कर पाएंगे रोग मुक्त खेती

Smart News Team, Last updated: Sat, 31st Oct 2020, 2:32 PM IST
  • इस विधि को गरीब से गरीब किसान भी अपने उपयोग में ला सकता है. इन पौधों से तैयार बीज की बुवाई कर किसान फसल के उत्पादन चक्र को नियमित कर रोग मुक्त खेती कर पाएंगे.
वाराणसी में पौधों के लिए एक वैक्सीन तैयार की गयी है

वाराणसी. जल्द ही पौधे भी स्वयं का प्रतिरक्षा तंत्र विकसित कर खुद को और आने वाली पीढ़ी को निरोगी और महफूज़ रखे सकेंगे. बनारस के वनस्पति विज्ञानी ने इस क्षेत्र में ग्रीन वैक्सीन की खोज कर ली है जो पौधों को एक बार लगा देने के बाद वह खुद में रोगों से जूझने की प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेंगे. यही नहीं एक बार इसमें टीका लग जाने के बाद इनकी पीढ़ियों में भी वैक्सीन का जेनेटिक इफेक्ट बरकरार रहेगा. बीएचयू के वनस्पति विज्ञानी डा. प्रशांत यह शोध कार्य 2017 से ब्रिटेन के लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी में कुछ साथियों के साथ मिलकर कर रहे थे.अब लगभग डेढ़ वर्ष बाद जाकर उनको सफलता मिली है.

डा. प्रशांत के अनुसार इंसानों की ही तरह पौधों में भी रिसेप्टर होते हैं, जो कि बाहरी हमले से उनको सचेत रखते हैं.बिना किसी पेस्टिसाइड और जेनेटिकली मोडिफाइड तकनीक के ही हम अपनी फसल को बेहतर ढंग से उपजा सकते हैं, साथ में उसकी उत्पादकता भी बढ़ाई जा सकती है. शोध प्रक्रिया के दौरान जब बैक्टीरिया को मिट्टी में सिरींज द्वारा डाला जाता है तो पौधों के अन्य भाग में एक अलार्म बज जाता है. इसके बाद प्लांट डिफेंस हार्मोन जसमोनिक एसिड और रिसेप्टर कोरोंटीन इंसेस्टिव एक सूचक की तरह पौधों की प्रत्येक कोशिका को उस बैक्टीरिया के खिलाफ एक्टिव कर देता है. यदि ग्रीन वैक्सीन को किसी एक पत्ती में भी प्रवेश करा दें तो भी इसका असर पौधे के प्रत्येक भाग में पहुंच जाता है.

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फिलहाल बाजरा, गेहूं और टमाटर पर इस ग्रीन वैक्सीनेशन का शोध पूरी तरह सफल रहा.इस दौरान अनाज के रंग, गंध व स्वाद में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. लेकिन वर्तमान में इसके पौष्टिक गुणों में क्या फर्क पड़ा इस पर आंकलन चल रहा है. उन्होंने बताया कि इस विधि को गरीब से गरीब किसान भी अपने उपयोग में ला सकता है. इन पौधों से तैयार बीज की बुवाई कर किसान फसल के उत्पादन चक्र को नियमित कर रोग मुक्त खेती कर पाएंगे. डॉ प्रशांत का यह शोध वनस्पति विज्ञान के सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल प्लांट सेल में प्रकाशित भी हो चुका है. अब इसे आगे बढ़ाते हुए वह ग्रीन स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं, जिससे इस तकनीक का लाभ किसानों को मिले.

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