वाराणसी: आर्थिंक संकट से जूझ रहा प्राचीन संस्कृत विश्वविद्यालय, वेतन के लाले
- दुनिया का सबसे प्राचीन सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय दिनों दिन घटती छात्र संख्या के कारण आर्थिक संकट से बुरी तरह जूझ रहा है. हालत यह है कि यहां पर शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है.

वाराणसी: नए रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू न करने और पुराने पाठ्यक्रम वेद पुराण, कर्मकांड के सहारे चल रहे सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय में छात्र संख्या 2002 में जहां दो लाख थी, जो अब घटकर पचास हजार तक रह गई है. जिससे विश्वविद्यालय की आमदनी कम हुई है. यही कारण है कि विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष खर्च के लिए 28 करोड़ रुपए नहीं जुटा पा रहा है.
तीन साल से शिक्षकों का ऐरियर और परीक्षा का पारिश्रमिक न देने से आंदोलन भी किया गया. तब विश्वविद्यालय को परीक्षा टालनी पड़ी. आर्थिक संकट का एक यह भी कारण है कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे भी कमजोर परिवार के होते हैं. इसलिए शुल्क भी नहीं बढ़ाया गया.
ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय के पास वर्तमान में सिर्फ समस्याएं ही रह गईं हैं. जिनसे निपटने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से काफी प्रयास किए गए लेकिन बुरे दौर से गुजर रहे संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में अब स्थितियां सुधरते दिखाई नहीं दे रहीं हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय परिवार को अब किसी ईश्वरीय सहयोग की उम्मीद है.
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विश्वविद्यालय के ऐसे हालातों में यदि शिक्षा प्रणाली लड़खड़ा गई तो इसका सीधा असर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले हजारों छात्रों के भविष्य पर पड़ेगा. जिसको शायद छात्र झेल पाने की भी स्थिति में न होंगे. अब देखना यह है कि समस्याओं से जूझ रहे विश्वविद्यालय को बर्बाद होने से बचाने को क्या सरकार अपने कदम बढ़ाएगी या फिर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की शिक्षा पर पर मडरा रहे संकट के बादल अपना असर दिखा पाएंगे.
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