वाराणसी: शिव की नगरी काशी में नौ देवियों की अनुकंपा
- पवित्र गंगा किनारे स्थित वाराणसी महानगर काशी की नगरी के रूप में विख्यात है. यही कारण है कि भगवान शिव के इस धाम में देवी के प्राचीन नौ स्वरूप विराजमान है. नवरात्रों में देवियों के इन स्वरूपों की अलग ही छटा दिखाई देती है.
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वाराणसी. शनिवार से प्रारंभ हुई शारदी नवरात्रि में भले ही जिला प्रशासन की ओर से दर्शन हेतु आमजन के लिए अनुमति प्रदान नहीं की गई हो किंतु सुबह शाम आरती के समय मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के मंदिरों पर श्रद्धा का सागर नजर आ रहा है. इन मंदिरों में शनिवार को विधि विधान से घट स्थापना की गई. नवरात्रि की प्रथम देवी शैलपुत्री का वाराणसी महानगर में अलीपुरा रेलवे स्टेशन के पीछे शक्कर तालाब के पास प्राचीन मंदिर बना हुआ है. यहां प्रत्येक नवरात्र में भक्ति परवान चलती है. इसके अलावा नवरात्र की द्वितीय देवी ब्रह्मचारिणी का वाराणसी के गंगा तट पर ब्रह्म घाट पर प्राचीन मंदिर बना हुआ है. मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा देवी का महानगर के चौक में स्थित थाने के ठीक सामने चंद्रघंटा वाली गली में विशाल मंदिर है यहां की शोभा भी दर्शनीय है.
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वाराणसी के प्राचीन दुर्गाकुंड मंदिर पर नवरात्रि के पांचवें स्वरूप की देवी मां कूष्मांडा देवी विराजमान है तो वही महानगर के जेतपुरा में बागेश्वरी देवी मंदिर को स्कंदमाता के रूप में माना जाता है. माता के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी का वाराणसी के संकटा मंदिर मणिकर्णिका घाट के निकट सिंधिया घाट के ठीक ऊपर मंदिर बना हुआ है. सातवें स्वरूप कालरात्रि देवी के दर्शन हमें महानगर के दशाश्वमेध रोड पर कालका गली में प्राप्त होते हैं तो वही महानगर के बाबा दरबार के पास स्थित अन्नपूर्णा देवी मंदिर को महागौरी मंदिर की मान्यता मिली है.
नवरात्रि में माता माता की अंतिम देवी सिद्धिदात्री का मंदिर महानगर में गोलघर स्थित पराड़कर भवन के पीछे सिद्धि माता वाली गली में बना हुआ है. नवरात्रि में माता के इन 9 स्वरूपों के मंदिरों में भक्ति की दरिया बहती दिखाई पड़ती है.
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