आलू और सब्जियों की पैदावार कर मालामाल हो रहे केंद्रीय जेल में निरुद्ध कैदी

Smart News Team, Last updated: Fri, 1st Jan 2021, 4:56 PM IST
  • जेल प्रशासन का सहयोगात्मक रवैया और अपनी मेहनत के बलबूते केंद्रीय जेल में निरुद्ध कैदी अब मालामाल होने लगे हैं. जेल प्रशासन की ठोस नीति के चलते जेल परिसर की के करीब 12 एकड़ जमीन पर आलू व अन्य सब्जियों की खेती करके बाजार में बेचकर मोटा लाभ कमाया जा रहा है.
जेल प्रशासन और जिला अधिकारी के संयुक्त प्रयास से इन कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया

वाराणसी :बता दें कि काशी की केंद्रीय जेल में मौजूदा समय में 1722 कैदी निरुद्ध हैं. जेल प्रशासन और जिला अधिकारी के संयुक्त प्रयास से इन कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. इस क्रम में जेल प्रशासन की तकरीबन 12 एकड़ जमीन पर इस बार इन कैदियों ने आलू की खेती के साथ ही फूलगोभी ब्रोकली लौकी तरोई पालक टमाटर व अन्य सब्जियों की खेती की है. इन सब्जियों को तैयार करने में कैदियों ने पसीना भी खूब बढ़ाया है. अब कैदियों की ओर से की गई मेहनत रंग लाती दिख रही है. जेल परिसर में इस समय सब्जी ही सब्जी दिखाई दे रही है. उत्पादन भी उम्मीद से कहीं अधिक हो रहा है. जेल में निरूद्ध कैदियों के खाने के अतिरिक्त जेल प्रशासन इन सब्जियों को आसपास के जेलों में तो वैसे ही रहा है वही बाजार में भी अच्छी कीमत पर बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहा है. सुबह होते ही बंदी रक्षकों की निगरानी में केंद्रीय जेल के कैदी खेतों की तरफ निकल जाते हैं. सुबह से लेकर दोपहर तक यह कैदी खेतों में लगी सब्जियों की देखरेख करते हैं.

यहां यह बता दें कि इन सब्जियों की खेती के लिए जेल प्रशासन की ओर से 50 कैदी लगाई गई हैं. अब जब इन सब्जियों को बेचकर अच्छा मुनाफा प्राप्त हो रहा है तो जेल प्रशासन की ओर से इन कैदियों के बैंक खाते भी खुलवा दिए गए हैं. जो भी कमाई हो रही है खर्च निकाल कर कैदियों का हिस्सा उनके बैंक एकाउंट में जमा करा दिया जा रहा है.

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जेल प्रशासन की माने तो इस बार 12 एकड़ भूमि पर आलू की खेती की गई है. खुदाई करके तकरीबन 1000 कुंटल आलू का उत्पादन होने का अनुमान है. ठीक ऐसी ही स्थिति अन्य सब्जियों की भी है. आलू व सब्जियों के अधिक उत्पादन को देखते हुए अब जेल प्रशासन इसकी आपूर्ति आसपास के जिला कारागार में करने के साथ ही उत्पादन को देखते हुए निर्यात करने के बारे में भी विचार कर रहा है.

इस संबंध में केंद्रीय जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक अरविंद सिंह बताते हैं कि जेल में 50 कैदियों द्वारा खेती कराई जा रही है. आलू के अलावा हरे पत्तेदार सब्जियां भी पैदा की जा रही है. फसल भी अच्छी हो रही है. इसको देखते हुए आसपास के जिला कारागार में इन सब्जियों को बिक्री के लिए भेजा जा रहा है. इससे प्राप्त होने वाला मुनाफा कैदियों के खाते में जमा कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जेल के अन्य कैदियों को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

 

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