शिवयोग में करवा चौथ का विधान, अखंड सुहाग का वरदान
- सनातन धर्म में त्योहारों का अपना विशेष ही महत्व है. इन त्योहारों की श्रंखला में करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के लिए विशेष महत्व रखता है. बुधवार को भी करवा चौथ का त्यौहार है. इस बार का करवा चौथ का व्रत शिवयोग में पड़ रहा है. जोकि मनवांछित फल देने वाला योग है.
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वाराणसी. करवा चौथ के दिन हिंदू धर्म की सुहागिन जल और अन्य का सेवन किए बिना अपने पति की लंबी आयु की कामना लेकर व्रत रखती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चतुर्थी तिथि 3 व 4 नवंबर की रात्रि 1:03 पर लग रही है जो 4 व 5 नवंबर की सुबह 2:08 पर समाप्त होगी. इस बार की करवा चौथ बेहद खास साबित होगी. इस करवा चौथ में सुहागिनों को चंद्र देव की पूजा करने के लिए शिव योग मिल रहा है जोकि मनवांछित फल देने वाला साबित होगा जरूरत मन, कर्म और वचन के साथ विधि विधान से चंद्र देव की पूजा करने की है.
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ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि इस बार करवा चौथ पर चंद्र उदय का समय रात्रि 7:57 पर है. सुहागन महिला इस मुहूर्त में अर्घ्य देगी तो चंद्रदेव उनके घर में सुख समृद्धि शांति व निरोगी होने का आशीर्वाद देंगे. यानी शिव योग में चंद्र देव की पूजा इस बार फलदाई साबित होने वाली है. वही काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी कहते हैं कि कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को इस व्रत का विधान है इस व्रत में शिव शिवा स्वामी कार्तिक और चंद्रमा का पूजन किया जाता है. नैवेद्य यानी काली मिट्टी के कच्चे करवे में चीनी की चाशनी डालकर बनाए हुए करवे अथवा घी से लिपटी हुए आटे के लड्डू चंद्रदेव को अर्पण करने चाहिए.
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