राज्यपाल ने बाबा काशी विश्वनाथ के किए दर्शन, कॉरिडोर निर्माण की प्रगति भी देखा
Smart News Team, Last updated: 04/11/2020 10:52 PM IST
वाराणसी के तीन दिन दिवसीय प्रवास के दौरान राज्यपाल आनंदी बेन आज काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची. उन्होंने पहले बाबा काशी विश्वनाथ का दर्शन किया और उसके उपरांत काशी विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडोर निर्माण की प्रगति देखने मौके पर पहुंची. उनके साथ मौजूद कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के नक्शे के माध्यम से हो रहे निर्माण कार्यों को उन्हें समझाया और मौका मुआयना भी करवाया. आनंदी बेन पिछले तीन दिनों से बनारस में थीं. इस दौरान उन्होंने महिला एवं बाल विकास से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और उनकी समीक्षाएं कीं और उसके उपरांत आज लखनऊ के लिए रवाना हो गईं. बीएचयू कार्यकारिणी परिषद की बैठक के बाद अब एक नया विवाद तूल पकड़ने लगा है. यह विवाद इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसिज में चिकित्सा अधीक्षक की नियुक्ति को लेकर है. इस नियुक्ति के मामले में प्रोफेसर ओपी उपाध्याय ने यह आरोप लगाया है कि यह नियुक्ति मानकों को ध्यान में रखकर नहीं की जा रही है. इस संबंध में उन्होंने ट्वीट और ईमेल के द्वारा पहले प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को जानकारी भेजी. उसके बाद बाकायदा अब पत्र लिखकर इस संबंध में अवगत करवाया है. उनका आरोप है कि आपत्ति के बावजूद भी कुलपति किसी व्यक्ति विशेष अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से यह सारा काम कर रहे हैं. गाजिपुर से यात्रियों को बिठाकर बनारस के लिए चली बस की स्टेयरिंग बीच रास्ते में चौबेपुर के पास अचानक फेल हो गई. स्टेयरिंग फेल हो जाने के कारण बस अनियंत्रित होकर पास के खेत में जा उतर गई. यह संयोग ही था कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ. बस में सवार 35 यात्रियों में से 8 लोगों हलकी चोटें आई हैं. जिनका नजदीकी चिकित्सालय में उपचार करवाया जा रहा है. करवाचौथ के दिन एक तरफ जहां सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं, वहीं बनारस में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें पत्नी ने पति की चौखट पर ही धरना दे रखा है. पति-पत्नी के बीच अनबन बीते कुछ सालों से चल रही थी, जिस कारण पति ने उसे उसके मायके छोड़ दिया था. वह महिला कुछ दिनों पूर्व लौटकर चौलापुरी स्थित अपने ससुराल आई लेकिन ससुरालियों ने उसे घर में प्रवेश करने से मना कर दिया. गांव में पंचायत भी हुई लेकिन उसके बावजूद महिला को उसके ससुरालियों ने प्रवेश नहीं दिया. नाराज होकर महिला धरने पर बैठ गई. पुलिस के मनाने पर भी महिला नहीं मानी और करवाचौथ की शाम भी उसका धरना जारी है. कोविड-19 के कारण काशी की एक और परंपरा पर ब्रेक लग गया. यह परंपरा है काशी के चेतगंज की विश्वविख्यात नक्कैटया की. 132 वर्षों में यह पहला मौका है जब चेतगंज की रामलीला का आयोजन नहीं किया गया. कोविड के कारण रामलीला का आयोजन स्थगित रहने से नक्कैटया भी स्थगित करनी पड़ी. वर्ष 1888 में बाबा फतेहराम ने इस स्वरूप को निर्धारित किया था, तब उनका उद्देश्य अंग्रेजों की यातना से त्रस्त हो चुके भारतीयों को पुन: जागृत करना और ऊर्जा से भरना था. वह परंपरा लगातार चलती आ रही थी. यही वो नक्कैटया का मेला होता था जिसमें चंद्रशेखर आजाद अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ चेतगंज के सरस्वती पुस्तकालय में बैठक किया करते थे. इस वक्त समूचा चेतगंज इलाका सन्नाटे में है ना तो कोई विद्युत की साज सज्जा है और ना कहीं स्वागत द्वार बने हैं.
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